
खण्डवा-विश्व किडनी दिवस के अवसर पर श्री दादाजी धूनीवाले जिला चिकित्सालय सह नंदकुमार सिंह चौहान शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय खंडवा के डायलिसिस यूनिट में भर्ती मरीजों के लिए, जागरूकता कार्यक्रम तथा स्वास्थ्य जाँच एवं उपचार शिविर का आयोजन सिविल सर्जन डॉ. संजीव दीक्षित के मार्गदर्शन में किया गया। जिसमें डायलिसिस यूनिट के नोडल अधिकारी एवं एम.डी. मेडिसिन डॉ. पंकज जैन द्वारा बताया गया कि किडनी दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है । किडनी हमारे शरीर का अभिन्न अंग है। इसका कार्य उत्सर्जित और अवसर्जित पदार्थ को बाहर निकलना है, अगर यह पदार्थ हमारे शरीर में इकट्ठे रहेंगे तो इसके कारण कई तरह की बीमारियाँ और अन्य अंगों को भी नुकसान पहुँचा सकते हैं।गुर्दा या किडनी रोग को नजरअंदाज करना खतरनाक साबित होता है। किडनी रोगों से बचाव के लिए नियमित जाँच और जीवनशैली में बदलाव जरूरी है। किडनी की बीमारी के शुरूआती लक्षणों में लगातार उल्टी आना, भूख नहीं लगना, थकान और कमज़ोरी महसूस होना, पेशाब की मात्रा कम होना, खुज़ली की समस्या होना, नींद नहीं आना और माँसपेशियों में खिंचाव होना प्रमुख हैं। क्रॉनिक किडनी रोग महीनों या वर्षों से निरंतर होने वाली क्षति है। जब किडनी प्रक्रिया एक निश्चित बिंदु से कम हो जाती है, तो उसे किडनी की विफलता कहा जाता है, डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। क्रोनिक किडनी रोग का कारण मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अन्य विकार हो सकते हैं। रोग का शीघ्र पता लगाना और उपचार प्रायः क्रोनिक किडनी रोग को होने से बचा सकता है।उन्होंने बताया कि क्रोनिक किडनी रोग की शुरुआत में कोई संकेत या लक्षण नहीं होता हैं। क्रोनिक किडनी रोग सामान्यतः पूरा ठीक नहीं होता है। मधुमेह और उच्च रक्तचाप क्रोनिक किडनी रोग का प्रमुख जोखिम कारक है। उनके द्वारा बताया गया कि जिला चिकित्सालय खंडवा में डायलिसिस की कुल 07 मशीन हैं, जिसमें से 01 मशीन हेपेटाइटिस-सी वाले मरीजों के लिए तथा बाकी सामान्य मरीजों के लिए है। जिला चिकित्सालय में यह सुविधा 2016 से संचालित की गई है। यहाँ पर खंडवा के अलावा अन्य जिले से भी लोग आकर इसका लाभ लेते हैं। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि अक्सर लोगों को यह भ्रांति होती है कि डायलिसिस मरीज की आखिरी स्टेज है पर ऐसा नहीं है डायलिसिस नॉर्मल एवं किडनी ट्रांसप्लांट के बीच एक ब्रिज का कार्य करता है। डायलिसिस समय-समय पर नहीं लिया, तो उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट करना पड़ता है।उन्होंने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट में डोनर को ढूंढना बहुत मुश्किल प्रक्रिया होती है।इसलिए इसे बचाने के लिए समय-समय पर डायलिसिस हफ्ते में दो या तीन बार लेने से व्यक्ति अपना जीवन खुशहाली से जी सकता है। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय खंडवा में कई ऐसे मरीज हैं, जो जब से यूनिट शुरू हुई है तब से डायलिसिस लेकर अपना जीवन खुशी-खुशी जी रहे हैं।इसलिए हम सभी को अपने किडनी की अच्छी देखभाल करने के लिए अपनी दिनचर्या में बदलाव लाना होगा , और दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करना होगा। सिविल सर्जन डॉ. संजीव दीक्षित द्वारा बताया गया कि इस वर्ष की थीम “क्या आपकी किडनी ठीक है? जल्दी पहचानो किडनी स्वास्थ्य की रक्षा करें” यह थीम किडनी रोगों की जल्दी पहचान और उसकी सुरक्षा पर जोर देती है। समय पर जाँच और सही देखभाल से किडनी से जुड़ी समस्याओं को रोका जा सकता है। विश्व किडनी दिवस 2025 हमें अपनी किडनी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने और नियमित जाँच करने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा उनके द्वारा बताया गया कि श्री दादाजी धूनी वाले जिला चिकित्सालय खंडवा में 2016 से मार्च 2025 तक 21515 बार लोगों का डायलिसिस किया गया तथा वर्तमान में कुल 34 मरीज यहां पर भर्ती है।उन्होंने कहा कि विश्व किडनी दिवस पर किडनी स्वास्थ्य के बारे में जन-जागरूकता लाने के साथ-साथ किडनी रोग से ग्रसित लोगों को समुचित इलाज उपलब्ध कराना हमारा उद्देश्य है। इस अवसर पर मेडिकल कॉलेज के सुपरिंटेंडेंट डॉ. रंजीत बडोले, डॉ.अंजलि जायसवाल एमडी मेडिसिन, डॉ.दीपशिखा इवने एमडी मेडिसिन, डॉ. मोहित गर्ग एमडी मेडिसिन, मैनेजर यशवंत सोलंकी, मेट्रन सेल्वी थॉमस, बेसर वरिया, नंदा कानूनगो, पायल खाडेल नर्सिंग ऑफिसर, सुरेंद्र झाड़े सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।